दोस्तों अभी में दिल्ली में ही हूँ परीक्षाओं के सिलसिले में यहाँ आया हुआ हूँ।
३ दिन पहले तीस मई की बात है, मैं जब अपनी परीक्षा देने के बाद वापस घर आया तो देखा के घर में सब लोग अजीब सी बेचैनी लिए बैठे थे। मैंने पूछा तो किसी ने कुछ नहीं कहा और मुझे हाथ मुंह धो कर कुछ खाना पीने के लिए कह दिया। और मैं बिना किसी बात को सोचे अगले दिन की परीक्षा के बारे में सोचता हुआ हाथ मुंह धो कर थोडा शरबत पानी से खुद को गर्मी की तपिश से शांत किया।
जब में थोडा आराम करके उठा तो सबकी बेचैनी का कारण पूछा तो मम्मी ने बताया के कुरुक्षेत्र में दीदी(मेरी ममेरी दीदी के ससुराल) के घर एक अजीब सी घटना घटी है जिसमे किसी को कोई नुक्सान तो नहीं हुआ है मगर सब डर हुए हैं और समझ नहीं आ रहा की क्या किया जाए?
मैंने पूछा “कैसी घटना? क्या हुआ वहां पर?”
जो मम्मी ने बताया और फिर दीदी से बात करने पर जो मुझे पता चला वो इस प्रकार था।
जहाँ दीदी के सास ससुर रहते हैं वो जगह कुरुक्षेत्र से थोड़ी बाहर है। वेसे तो दीदी और जीजा जी दिल्ली में ही रहते हैं मगर उनके सास ससुर वहां कुरुक्षेत्र में रहते हैं क्योंकि वो रेलवे में कर्मचारी हैं और कुरुक्षेत्र से आगे एक छोटे से स्टेशन का सारा कार्य भार सँभालते हैं। इसलिए वो वही पास में बने रेलवे क्वार्टर में रहते हैं। जो की आप लोगो ने देखा होगा रेलवे स्टेशन के आस पास बने होते हैं ऐसे रेलवे क्वार्टर।
ऐसे ही क्वार्टर में तीस मई को मेरे जीजा जी और उनके पिता जी और उनके छोटे भाई सुबह करीब साठे आठ बजे बाहर बैठे थे। और घर के अन्दर एक कमरे से गुजरने के बाद रसोई में मेरी दीदी और उनके देवरानी चाय नाश्ता तैयार कर रही थी और उनकी सास वही बैठी थी और वो आपस में बातचीत कर रही थी।
अचानक बाहर जीजा जी ने देखा के बगल के घर से एक आदमी जिसने पुराना सा पैजामा पहना था और ऊपर एक गन्दी सी चादर सर तक ओढ रखी थी और नंगे पैर था। दौड़ता हुआ बगल के घर से निकला और जीजा जी के घर की तरफ बढ़ा। जीजा जी उसे रोकने के लिए आगे बढे तब तक वो दौड़ता हुआ घर में घुस गया पीछे से उसके पीछे जीजा जी, उनके भाई और उनके पिता जी भी उसे पकड़ने के लिए दौड़े, तब तक वो रसोई की तरफ बढ़ गया जिसे देख कर दीदी और उनकी देवरानी के साथ उनकी सास भी चिल्ला पड़ी। मगर वो आदमी दौड़ता हुआ रसोई की दिवार में ईंटो से बनी जाली के तरफ जिसमे मुश्किल से चार या पांच आधी ईंट के बराबर झरोखे बने थे, बढ़ गया और जेसे दिवार को पार करता हुआ बहार निकल गया और गायब हो गया।
और उसको वहां मौजूद सभी लोगो के देखा और डर की वजह से कुछ देर के लिए सुन्न पड़ गए थे। मेरी दीदी और उनकी देवरानी को तो बुखार आ गया। जो देखा उसे झुटला भी नहीं सकते थे। और किसी को बता भी नहीं सकते थे। दीदी के ससुर ने बताया की यहाँ अक्सर रात को कई लोग जो रेल दुर्घटना के शिकार हुए है और उन्हें घूमते हुए उन्होंने ही नहीं आस पास वालो ने भी देखा है मगर इस तरह की मुसीबत तो वहां आस पास वालो ने भी नहीं देखी। अगर किसी को बताया तो लोग समझेंगे की हम अफवाह फैला रहे हैं। इस बात उन्होंने अपने ही घर तक रखने का फैसला किया और आस पास रहने वाले केवल तीन या चार घर हैं रेलवे कर्मचारियों के, उन्हें भी कुछ नहीं बताया। मगर किसी अच्छे और काबिल आलिम की तलाश कर रहे हैं ताकि अपने घर की सुरक्षा और इस घटना का मूल कारण पता लगा सकें।
जीजा के पिता जी ने दीदी जीजा और उनके छोटे भाई को दिल्ली भेज दिया है। और जब तक समस्या हल न हो जाए वहां न आने की सलाह दी है। पता नहीं इस वक़्त वहां क्या चल रहा होगा।
मगर ये घटना कोई इतनी साधारण नहीं की रोज़ घटती हो। जेसे ही इसके संधर्भ में कुछ पता चलता है में यहाँ आप लोगो को जरुर बताऊंगा।