दावत का लड्डू

सारे गाँव में हल्ला हो रहा है।……गाँव में दावत जो चल रही है। सारे गाँव वाले खुश है, नई-नई तरह की मिठाइयाँ खाने को मिल रही है। गाँव में रमेश और रघु ज्यादा खाने वाले हैं…जिनके बीच आज मुकाबला भी होना है।

उनमे आपस में बहस चल रही है कि कौन खाने में जीतेगा? रवि भईया ने चार दिनों से कुछ भी नहीं खाया है। मीना कहती है कि मुझे दावत से पहले भूखे रहने की बात अच्छी नहीं लगती….भूंखे रहने और ज्यादा खाने से बीमार पड़ सकते हैं।

वीरु काका के यहाँ लड्डू बनाये जा रहे हैं। दावत शुरू होती है…….देखते ही देखते रघु ने आठ पूड़ियाँ खा ली। रघु के पेट में गड़बड़ शुरु हो जाती हैं…..रघु ने फिर से ताल ठोंकी……अरे! ये क्या? रघु के पेट में फिर से गड़बड़……रघु को बार-बार शौच जाना पड़ रहा है।

राजू, रघु को शौच के बाद हाथ धोने को कहता है, ….केवल पानी से हाथ धोने से कीटाणु तुम्हारे अन्दर चले जायेंगे।…और उस रात रघु, राजू की एक नहीं सुनता और गंदे हाथों से जा-जाकर खाना खाता रहा।……और फिर इस बार रघु ऐसा भागा कि वापस आ ही नहीं सका।…… वीरू काका की दावत का मुकाबला अशोक जीत जाता है।

दावत के बाद से रघु स्कूल में दिखाई ही नहीं दिया। ज्यादा खाकर, भूंखे रहकर अपने शरीर को कष्ट देना समझदारी वाली बात नहीं है। मीना रघु के घर पहुँचती है…..रघु को दावत के बाद से ही पेट दर्द है…..और बुखार भी।

मीना, रघु को हाथ धोने का सही तरीका समझाती है…….हमें खाना खाने से पहले साबुन से ही, अच्छे से हाथ धोने चाहये।

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