प्यार, इश्क, मोहब्बत ये शब्द सुनने में कितने खूबसूरत लगते हैं, लेकिन इनका मतलब समझना उतना ही मुश्किल है. ना जाने कितने दीवानों ने प्यार को शब्दों के दायरे में कैद करने की कोशिश की है, मगर हमेशा असफल रहे हैं, क्योंकि प्यार शब्दों का मोहताज नहीं.
कभी आप मासूमियत में हुई चाहत को प्यार समझ लेते हैं, तो कभी चंद मुलाक़ातों की उल्फत को मोहब्बत. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आप एक ऐसे पागलपन के जुनून को इश्क मान लेते हैं और संबंधों के दलदल में फंसते चले जाते हैं.
रिश्ते अक्सर पतंग की एक डोर की तरह होते हैं, जितनी पक्की डोर प्यार की वो पतंग आसमान में उतनी ही उचाई पर उड़ेगी. मगर कच्ची डोरियां सिर्फ उलझन को ही न्योता देती हैं.
दिल के मामले में हम इंसान बड़े ही भोले होते हैं, कब किस को अपना वक्त और व्यक्तित्व सौंप देते हैं, पता ही नहीं चलता. मगर रिश्तो का वो हार कभी-कभी गले का फंदा बन जाता है, क्या तब भी उसे पहने रखना मुनासिब है??
True Sad Love Story in Hindi
ये कुछ समय पहले की बात है!!
हम दोनों काफी अच्छे दोस्त थे, जब उसने पहली बार अपने प्यार का इजहार किया उस वक्त इश्क के लिबास में आए वादों को निभाने के लिए मैं तैयार थी. उसकी बढ़ती आशिकी ने जैसे मेरे दिलो-दिमाग पर पर्दा डाल दिया था, शायद! इसीलिए मैं उसके अंधे जुनून को सहज मोहब्बत समझ बैठी.
देखते ही देखते यह साझेदारी एक जिम्मेदारी बन गई और बातें कब बहस में बदल गई, पता ही नहीं चला. हम दोनों के बीच सांस लेने के लिए जगह कम पड़ने लगी. हम मिलते तो थे, पर हमारा मिलना भी ख्वाहिशें कम काम ज्यादा लगने लगा था. मेरा अपने लिए वक्त निकालना भी उसे मंजूर नहीं था, जैसे पूरा वक्त बस एक दूसरे को इस बात का दिलासा देते रहते थे कि हम दोनों के बीच जो भी है, उसे ही तो प्यार कहते हैं.
बस फिर क्या था, हर छोटी से छोटी बात में खरी-खोटी सुनाना, ताने मारना रोज का रूटीन बन ने लगा था. गुस्से में आकर गाड़ी तेज चलाना, ऊंची आवाज में बात करना! हम दोनों के बीच प्यार के नाम पर अब बस सोशल मीडिया पोस्ट ही बची थी.
मोहब्बत का वो जाम जो उसने मुझे पिलाया था, अब जहर का घूंट सा लगने लगा था. इन सबके बीच एक रोज कुछ ऐसा हुआ कि मेरी रूह कांप गई. एक दिन उसने गुस्से में आकर मुझ पर अपना जोर इस्तेमाल किया. जब ये हुआ! तो उसके थोड़े वक्त बाद उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसके खूब मनाने पर मैंने उसे माफ़ भी कर दिया.
मगर दोस्तों! जब इंसान एक ही गलती बार बार करे तो उसे गलती नहीं आदत कहते हैं. ऐसी गलतियों को करके बार-बार मोहब्बत के नाम पर माफी मांगना उसकी आदत बन चुकी थी, और मैं उस आदत का शिकार बन गई थी.
लोग अक्सर सलाह देते हैं कि जो तुम्हारे सबसे करीब है, उसका हाथ कभी मत छोड़ना. मगर यह हाथ तुम्हारे स्वाभिमान पर उठे, क्या तब भी उसे थामे रखना चाहिए! कुछ महीने बीत चुके थे और मेरा दम घुटने लगा था.
जो रंगीन सपने हमने एक साथ सजाए थे, अब बस उनकी बेरंग परछाइयां ही नजर आ रही थी. देर से ही सही पर मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मैं अपने अस्तित्व को दांव पर लगाकर किसी और को अपनी जिंदगी में जगह नहीं दे सकती. इस फैसले के बाद, बड़ी मुश्किल से मैंने वो रिश्ता तोड़ दिया.
बस एक वो वक्त था और एक आज का वक्त है. आज मैं independent हूं और अपने आप में बहुत खुश हूं. सपने आज भी देखती हूं, मगर ऐसे जो अपने बल पर पूरे कर सकूं, ख्वाहिशें अभी भी हैं मगर अपनी जिंदगी से.
दोस्तों! इस बात से कोई इनकार नहीं है कि जहां प्यार होता है वहां ऊंच नीच तो आती है, बुराइयां भी अच्छे दिनों के बीच आती है. मगर! इस जिंदगी में दर्द से कोई छुटकारा नहीं दिला सकता, अगर तुम दर्द देने का हक तुम किसी और को देते हो. तुम्हें कौन कंट्रोल करेगा, इस बात का फैसला बस तुम्हारे हाथ में है. क्योंकि मोहब्बत वही है, जो तुम्हारी कमजोरी नहीं ताकत हो और सच्ची सादगी वही है जो तुम्हारी मजबूरी नहीं मंजूरी हो.