एक दिन शेखजी अपनी अम्मी के साथ बैठकर खाना खा रहे थे। अम्मी ने शेख को दूध दिया । दूध देखकर शेखजी ने अम्मी से पूछा – अम्मी जान दूध सफ़ेद क्यूँ होता है ? अल्लाह ने बनाया है बेटा। अम्मी ने कहा ।
सफ़ेद ही क्यों बनाया है ? क्योंकि अल्लाह की दाढ़ी सफ़ेद है इसलिए । अल्लाह का रंग भी सफ़ेद है ?
शेखचिल्ली रात को घूमने निकल गए । नगर से बहार उन्हें एक सफ़ेद दाढ़ी वाला आदमी मिल गया । शेख को माँ की बात याद आ गयी । आपकी दाढ़ी सफ़ेद क्यों है मौलवी साहब? शेखजी ने पूछा । बूढ़ा हो गया हूँ इसलिए। बूढ़ा होने पर मेरी दाढ़ी भी सफ़ेद हो जाएगी ? “हाँ, जब बूढ़े हो जाओगे । “इसका मतलब तो ये है की अल्लाह भी बूढ़ा हो गया है । शेखचिल्ली ने कुछ सोचते हुए पुछा। “कैसे? ” “उनकी भी दाढ़ी सफ़ेद है न। शेखजी ने कहा। कौन कहता है? मौलवी ने आश्चर्य से पुछा। मेरी माँ। “उन्होंने देखा है ? “हां। “फिर तो वे जरुर पैगम्बर की भेजी हुयी होंगी। मैं तो उनके दर्शन करूँगा बेटे, मुझे ले चलो।
आइये।
बूढा मौलवी शेखचिल्ली के साथ उनके घर आया।
आपने खुदा को देखा है?
मौलवी साहब ने उसकी माँ से पुछा।
हां। “कहाँ है ? “बैठिये, पहले ये बताइए क्या खायेंगे ? “मैं तो खुदा को देखने आया हूँ । “पहले आप आराम कीजिये, खाना खाइए। मौलवी की बड़ी सेवा की गयी। उन्हें भोजन कराया गया। घर के तीनों सदस्यों के व्यव्हार और प्यार से मौलवी प्रसन्न हो उठे और बोले – अल्लाह भंडार भरे, बड़ा नेक और तहजीब वाला घराना है। मैं इस सेवा को, इस इज्जत को भूल नहीं सकता। अब कृपा करके मुझे खुदा के दर्शन कराइए। “मौलवी साहब, खुदा यही मोहब्बत और सेवा का जज्बा है और शैतान है नफरत। इस घर में हिन्दू-मुस्लिम और सिख-ईसाई को एक सा माना जाता है। प्यार दिया जाता है। प्यार ही खुदा है। नफरत ही शैतान है। शेखचिल्ली की माँ ने कहा।
या अल्लाह तुम तो सचमुच खुदा की बेटी हो। हिन्दुओं में जिसे देवी कहते हैं।
“मैं तो एक मामूली औरत हूँ मौलवी साहब। मामूली सी औरत और यह मेरा लड़का शेखचिल्ली है, जिसे लोग मूर्ख कहते हैं । आप शेखचिल्ली की माँ हैं। आपके दर्शन से तो मैंने तीर्थ कर लिए। दरअसल शेखचिल्ली जी मामूली आदमी नहीं हैं। वह तो बहुत महान हैं, लोगों ने इन्हें अभी तक पहचाना नहीं है।