Baccho ki Kahaniya:- आज हम खास बच्चो को ध्यान में रखते हुए आपके लिए काहानियाँ लेकर के आये हैं जिन्हे बच्चे पढ़कर रोमांचित हो जायेगें और साथ ही साथ उनको एक शिक्षा (Moral) भी मिलेगी। आज हम बच्चो के लिए बहुत ही खास काहानियाँ लाए हैं जिनको बच्चो को जरूर पढ़ना चाहिए क्योकि इन सभी काहानियों को पढ़कर बच्चो को बहुत सी सीख भी मिलेगीं । जिनसे उनको आगें के जीवन में आगें कैसे बढ़ सकते है, ये पता चलेगा। तो बच्चो आप इन सभी काहानियों ( Kids Story) को जरूर पढ़िएगा। आपको जरूर पसंद आयेगी। आपको यहां पर सभी काहानियाँ Hindi language में मिलेगी।
गोपी और जादू का खेल
एक लकड़ा था। उसका नाम था गोपी। उसकी माँ रोज सुबह उसे उठाती थी। गोपी ओ गोपी उठ जा स्कूल जाना हैं।
लेकिन गोपी आँख बंद किये हुए कहता है- बस पाँच मिनट में उठता हूँ। की कहानियाँ
उसकी माँ जब नहाने के लिए कहती, तो गोपी बोलता है- बस पाँच मिनट में नहाता हूँ।
माँ जब खाना खाने के लिए कहती तो वह बोलता- बस पाँच मिनट में खाता हूँ।
इस तरह पाँच मिनट करते- करते गोपी रोज देर से स्कूल पहुंचता, उसके अध्यापक समझाते – गोपी समय पर स्कूल आया करो।
लेकिन गोपी अपनी आदत के कारण कुछ नहीं सुनता था। कक्षा में भी वह अपना काम कभी समय पर नहीं करता था। दूसरे बच्चें अपना काम समाप्त कर के खेलने चले जाते थे, और गोपी वहीं बैठा रहता था।
एक दिन स्कूल में जादू का खेल दिखाया जाना था। अध्यापक ने बच्चों को सुबह दस बजे आने के लिए कहा था। सभी छात्र समय पर स्कूल पहुँच चुके थे, कुछ बच्चों को देर हो गयी थी, वे भागते – भागते स्कूल जा रहे थे। उस समय गोपी घर के बाहर खेल रहा था|
एक बच्चा बोला- गोपी, जल्दी चलो…जादू का खेल शुरू हो जाएगा।
गोपी ने कहा- तुमलोग चलो, में बस पाँच मिनट में आता हूँ। लेकिन पाँच मिनट बोलते – बोलते उसे देर हो गयी।
जब गोपी स्कूल पहुँचा तो जादू का खेल समाप्त हो चुका था। सभी बच्चें जादू के खेल की बातें करते हुए लौट रहे थे। सभी बच्चे खुश थे, और गोपी उदास था।
फिर उसके अध्यापक ने कहा- गोपी उदास मत रहो, आज से तुम सुबह जल्दी उठो और सभी काम समय पर करो, फिर तुम्हें कभी उदास नहीं होना पड़ेगा।
अब गोपी की बारी- गोपी को उस दिन अपनी गलती समझ में आ गयी, उसके बाद गोपी सुबह जल्दी उठने लगा और वः अपना काम भी समय पर करने लगा। अगले साल जब स्कूल में जादू का खेल दिखाया गया तो गोपी समय पर स्कूल गया, आज वह सबसे पहली कतार में बैठा था, और जादू का खेल देखकर खुश था।
शिक्षा/Moral:– इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती हैं कि हमें सुबह जल्दी उठना चाहिए। अपना काम समय पर करना चाहिए। समय पर काम करने वाले हमेशा खुश रहते हैं।
मैना पक्षी और स्कूली बच्चें
गाँव के पास एक विद्यालय थी। उस विद्यालय में गाँव के छोटे बच्चे पढ़ते थे। जब उनकी छुट्टी होती तो रास्ते मे एक जामुन के पेड़ के पास वे रुकते थे। उस पेड़ पर एक मैना ने अपना घोंसला बनाया था।
बच्चें मैना से कहते- सुनो मैना पक्षी हमें कुछ जामुन गिराओ। मैना बच्चों की आवाज सुनकर पके जामुन गिराती थी। बच्चे जामुन खाकर बहुत खुश होते थे।
एक दिन की बात हैं। मैना पक्षी कही दूर दाना चुनने चली गयी थी। वह वापस लौटते समय अपना रास्ता भूल गयी। मैना के घोंसला में उसके बच्चें बहुत चिंतित थे।
मैना के बच्चो ने- घोंसला के बाहर देखना चाहा, लेकिन वे जमीन पर गिर गए। “मैना के बच्चों को डर लग रहा था, कहीं कौआ उन्हें देख ना ले नहीं तो कौआ उन्हें मार डालेगा”।
उसी समय विद्यालय की छुट्टी हुयी और विद्यालय के बच्चें उस पेड़ के पास आये। उन्होंने मैना के बच्चो को देखा, वे समझ गए कि मैना आज पेड़ पर नहीं हैं। विद्यालय के बच्चो ने मैना के बच्चों को वापस उनके घोसलों में पहुंचा दिया। कुछ समय बाद मैना पक्षी वापस उस पेड़ में आ गयी।
मैना ने अपने बच्चों से उनका हाल पूछा- उन्होंने बताया कि आज विद्यालय के बच्चों ने उसे घोसलें में सुरक्षित पहुँचाया। मैना ने उन्हें बहुत धन्यवाद दिया और अपने बच्चों को गले से लगा लिया।
शिशिक्षा/Moral:- दोस्तों इस कहानी से हमें सिख मिलती हैं कि कर भला तो हो भला।
कौआ और चालक लोमड़ी
एक दिन की बात हैं। एक कौआ को एक रोटी मिला। कौआ रोटी लेकर उड़ता हुआ एक पेड़ की डाल पर आकर बैठा।
उसी समय उधर से एक लोमड़ी गुजर रही थी।
लोमड़ी ने कौआ के चोंच में रोटी देखी, तो…
लोमड़ी कौए के पास आकर बोली- कौआ भाई कहाँ थे ?
लेकिन कौआ कुछ नहीं बोला।
लोमड़ी ने फिर कहा- कौआ भाई सुना हैं तुम बहुत अच्छा गाना गाते हो? एक बार मुझे भी सुनाओ।
कौए ने कहा- ठीक है, कौए ने तारीफ सुनी और उससे रहा नहीं गया, वह गाना गाने लगा। ला ला ला ला। …
जैसे ही कौआ ने अपना चोंच खोली रोटी नीचे गिर गई। लोमड़ी तो इसी का इंतजार कर रही थी, जैसे ही रोटी नीचे गिरी चालक लोमड़ी उसे लेकर जंगल भाग गई। मूर्ख कौआ देखता रह गया।
शिक्षा/Moral:-हमें हमेशा बुद्धि से काम लेना चाहिये।
कुम्हार और सुराही
एक सुराही थी, वह बहुत ही सुंदर थी, उस पर सुंदर – सूंदर बेल, बूटे, फूल और चित्रकारी बनी हुई थी।
भीमा कुम्हार सुराही को बार-बार देखता और खुश हो मन ही मन सोचता कि मेरी मेहनत से ही सुराही इतनी सुंदर बनी है।
भीमा कुम्हार बहुत थका हुआ था, सोचते – सोचते उसे नींद आ गयी और वह वही सो गया। नींद लगते ही वह सपना देखने लगा।
उसने सपने में देखा कि सुराही के पास रखी मिट्टी हिली और कहने लगी- “सुराही ओ सुराही, मैने तुम्हें बनाया सूंदर रूप तुम्हारा मुझसे ही हैं आया”
मिट्टी की आवाज सुन पास में रखे बाल्टी का पानी छलका और बोला- “सुराही ओ सुराही, मैने तुम्हें बनाया सूंदर रूप तुम्हारा मुझसे ही हैं आया”
मिट्टी और पानी की बात सुनकर चाक भी चुप नहीं रह पाया, उसने बोला – तुम दोनों थे कीचड़ मिट्टी इस सचाई को जान लो बनी सुराही मेरे कारण इस बात को तुम मान लो।
पानी मिट्टी और चाक की बात सुनकर बुझती आग भी कहने लगी- तुमसब बातें कच्ची करते, कच्चा है काम तुम्हारा तपकर मुझमे बनी सुराही असली काम हमारा।
भीमा कुम्हार ने सपने में सबकी बातें सुनी और बोला – सब चुप हो जाओ, चलो सुराही से ही पूछते है कि उसे बनाने में किसका सहयोग ज्यादा हैं।
सुराही ने जब यह सवाल सुना तो वह बोली- किसी एक का काम नही ये सबकी मेहनत सबका काम, मिलजुल कर कर सकते है अच्छे – अच्छे सूंदर काम..!!
सुराही ने समझाया कि मुझे बनाने में कुम्हार, मिट्टी, पानी चाक सबका बराबर सहयोग हैं। सुराही की बात सबको समझ आ गयी और वे आपस में मिलजुल कर रहने लगे।
Baccho ki Kahaniya शेर और चार मित्र
एक समय की बात हैं। किसी गाँव में चार दोस्त रहते थे। उनमें से तीन बहुत ही पढ़े- लिखे विद्वान थे, जबकि चौथा दोस्त मूर्ख था। चारों में बहुत अच्छी दोस्ती थी। वे हमेशा एक साथ रहते और बातें खूब करते थे।
एक दिन की बात हैं। वे एक पेड़ के नीचे बैठे बातें कर रहे थे कि अब हमें कुछ काम करने के लिये पास के नगर में जाना चाहिये। चारों इस बात से राजी हो गये, अगले दिन वे अपना सामान लेकर नगर की तरफ निकल गये।
रास्ता में सुनसान जंगल पड़ता था। वे पेड़ – पौधें जीव – जंतुओं के बारे में बातें करते जा रहे थे।
रास्ते में उन्हें किसी जानवर के हड्डियों का ढाँचा मिला, वह बिखरा हुआ था।
पहला दोस्त बोला- मै हड्डियों के जोड़ने की जादुई विद्या समझता हूँ। देखो में अभी इन्हें जोड़ देता हूँ।
उसने अपने जादुई विद्या से तुरंत उस बिखरे हड्डियों को आपस में जोड़ दिया।
दूसरा दोस्त बोला- मै हड्डियों में माँस, चमड़े, नाखून यह सब लगाने की जादुई विद्या जनता हूँ।
उसने अपनी जादुई विद्या से तुरंत उस कंकाल में मांस, चमड़े, नाखून और बाल आदि लगा दिए।
वह एक शेर का कंकाल था। उसके जादू से वह कंकाल अब मरे हुये शेर में परिवर्तित हो गया।
तीसरा दोस्त बोला- मै मरे हुये जानवरों को जिंदा करने की जादुई विद्या जनता हूँ। देखो में अभी इसे जिंदा कर देता हूँ।
यह सुनकर चौथा दोस्त बोला- रुको दोस्त, यह शेर जिंदा होते ही हमें खा जायेगा इसलिये तुम इसे जिंदा मत करो।
लेकिन तीसरे दोस्त ने- चौथे दोस्त की बातों पर ध्यान नहीं दिया और उसने उस शेर को जिंदा करने का जादू लगाना शुरू कर दिया| यह देख चौथा दोस्त भाग कर पेड़ पर चढ़ गया, तीनों दोस्त शेर के जिंदा होने का इंतजार करने लगे। कुछ ही देर में वह शेर जिंदा हो गया और जोर – जोर से दहाड़ने लगा, उसे देख तीनों दोस्त भागने लगे, लेकिन शेर ने एक ही छलाँग में उन्हें मार डाला।
शिक्षा/Moral:- हमें हमेशा सोच – समझ कर ही कोई फैसला करना चाहिये।
Baccho ki Kahaniya बिल्ली और बंदर
बच्चों चलिए आज बिल्ली और बंदर की कहानी पढ़ते हैं। नदी किनारे सूंदरपुर नाम का एक छोटा सा गांव था। उस गांव में दो बिल्लियाँ रहती थी, उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। वे साथ में खाना ढूँढने जाया करती थी और जो कुछ भी मिलता उसे आपस में बड़े ही प्यार से बाँट कर खाती थी।
एक दिन की बात हैं, दोनों बिल्लियाँ गांव में खाना ढूंढ रही थी, उन्हें एक किसान के घर से रोटी मिली, रोटी को देखकर दोनों बिल्लियाँ बहुत खुश हुयी। उन्होंने रोटी को दो टुकड़ो में बाँट लिया और रोटी खाने के लिए एक पेड़ के निचे आयी, लेकिन उनमे से एक बिल्ली को उसकी रोटी का टुकड़ा छोटा लग रहा था। वो दूसरी बिल्ली से बोली की मेरी रोटी का टुकड़ा छोटा हैं, तुम अपने टुकड़े में से थोड़ा मुझे दो। लेकिन दूसरी बिल्ली को भी उसका टुकड़ा छोटा लग रहा था। अब दोनों बिल्लियाँ आपस में झगड़ने लगी।
वहाँ एक पेड़ पर एक बंदर बैठा इनकी बातें सुन रहा था,
बंदर बोला- सुनो बिल्लियां , तुम्हें लगता हैं कि रोटी का टुकड़ा छोटा हैं तो में तराजू से उसे दोनों में बराबर भाग में बांट सकता हूँ।
बिल्लियाँ बंदर के नजदीक गयी और बोली- ठीक हैं, अब तुम्हीं इसे बराबर भाग में बांट दो।
बन्दर एक तराजू लाया और उसने दोनों टुकड़ों को तराजू के दोनों तरफ रखा और जैसे ही उसनें तराजू उठाया तराजू एक तरफ झुक गया। बंदर ने उसे बराबर करने के लिए थोड़ा तोड़ा और खुद खा लिया। और वापस तराजू उठाया। लेकिन इस बार तराजू दूसरी तरफ झुक गया, बंदर ने उसे बराबर करने के लिए फिर थोड़ा तोड़ खा लिया। कुछ देर तक बंदर ऐसा करता गया और अब तराजू में छोटा सा टुकड़ा शेष रह गया था।
अब उन बिल्लियों से रहा नहीं गया,
बिल्लियोंने पूछा- तुम ये कैसा बंटवारा कर रहे हो, अब तो थोड़ी ही रोटी बची हैं।
इस पर बंदर ने कहा- ठीक हैं। लेकिन मैंने जो इतना मेहनत किया उसकी मजदूरी तो होगी।
इसलिए यह बची रोटी का टुकड़ा मेरा हुआ और बंदर तराजू में जो रोटी बची थी वो लेकर पेड़ पर चढ़ गया। दोनों बिल्लियाँ बस देखती रह गयी, उन्हें कुछ भी खाने को नहीं मिला।
अब दोनों बिल्लियाँ यह समझ गई कि- आपस में झगड़ा करने से अपना ही नुकशान होता हैं। इसका लाभ कोई अन्य उठाता हैं। बाद में उन्होंने कभी भी आपस में झगड़ा नहीं किया, और जो भी मिलता उसे बहुत ही प्यार से खाने लगी।
शिक्षा/Moral:- देखा बच्चों इसलिए कभी भी आपस में झगड़ा नहीं करना चाहिए और हमेशा झगडे से दूर रहने की सोचनी चाहिए|
Baccho ki Kahaniya चार व्यापारी मित्र
गंगा नदी के किनारे कंचनपुर नामक एक गाँव बसा हुआ था। उस गाँव में अनेक तरह के काम – धाम करने वाले लोग रहते थे। उस गाँव में चार बहुत ही अच्छे मित्र रहते थे, उनका नाम गंगाधर, लीलाधर, मुकेश और संजय था। वे रुई का व्यापार करते थे।
एक बार उनके गोदामों में बहुत सारे चूहे रहने लगे। वे प्रतिदिन बहुत सारा रुई खराब कर देते थे। उन्हें रोज चूहो की वजह से रुई का बहुत नुकसान हो रहा था। एक दिन वे इसका कुछ उपाय ढूंढने के लिये सलाह करने आये।
गंगाधर बोला- मित्रों…चूहों ने हमारा बहुत नुकसान किया हैं। हमें इसका कोई उपाय सोचना चाहिये।
मुकेश ने कहा- हाँ…..यह सही बात हैं। में तो कहता हूँ कि चलो चूहों को पकड़ने वाले पिंजरा खरीद लेते हैं। Baccho ki Kahaniya
लीलाधर बोला- पिंजरा नहीं तो चूहों को मारने की दवाई ही खरीद लेते हैं। उससे चूहे मर जाएँगे।
संजय ने कहा- दोस्तों, जब चूहों को मारना ही हैं तो सबसे अच्छा हमें एक बिल्ली पाल लेनी चाहिये। बिल्ली चूहों को मार कर खा भी जायेगी और हमें कुछ खरीदना भी नहीं पड़ेगा।
बिल्ली पालने की बात सबको बहुत अच्छी लगी, उन्होंने एक बिल्ली पाल ली और उसका एक – एक पंजा आपस में बांट लिया। Baccho ki Kahaniya
गंगाधर ने आगे का दायाँ पंजा लिया।
लीलाधर ने आगे का बायाँ पंजा लिया।
पीछे का दायाँ पंजा मुकेश और,
बायाँ पंजा संजय ने लिया।
अब चारों बिल्ली के एक-एक पंजे की देखभाल करने लगे। बिल्ली रोज चूहों को खाने लगी। उनके गोदामों में चूहों की संख्या कम होने लगी, यह देख चारों मित्र बहुत खुश थे।
एक दिन बिल्ली के आगे के दायाँ पैर में कुछ चोट लग गयी, उस पैर की देखभाल गंगाधर कर रहा था। उसने बिल्ली के पैर में थोड़ा तेल लगाकर एक कपड़े से बांध दिया। बिल्ली को कुछ आराम हुआ, वह फिर चलने लगी। Baccho ki Kahaniya
रात के समय बिल्ली गोदामों में चूहे की तलाश कर रही थी, उसकी नजर एक चूहे पर गयी। बिल्ली ने उसे झपट्टा मारा, लेकिन वह चूहा भाग गया। अब बिल्ली उसका पीछा करने लगी, चूहा भागते – भागते एक जलते हुये दीपक के पास से गुजरा, बिल्ली भी उसका पीछा कर रही थी।
जैसे ही बिल्ली उस दीपक के पास से गुजरी तभी बिल्ली के पैर में जहाँ तेल और कपड़ा बंधा हुआ था, वहाँ पर आग ने पकड़ लिया। अब बिल्ली आग से छटपटा कर भागने लगी, वह घबराकर इधर से उधर भाग रही थी। उसके भागने से पूरे गोदाम में आग लग गयी।
उसी समय गंगाधर को यह बात पता चली- उसने तुरंत बिल्ली को बचा लिया, लेकिन गोदाम में रखी सारी रुई जल गयी। अब तीनों दोस्त गंगाधर पर आरोप लगाने लगे। उनका कहना था कि बिल्ली के जिस पंजे से आग लगी हैं वह गंगाधर का हैं।
इसलिए गंगाधर ही अपराधी हैं, उसे ही नुकसान की भरपाई करनी चाहिये। लेकिन गंगाधर ने इनकी बात मानने से मना कर दिया, अब चारों शिकायत लेकर गाँव के पंचायत पहुँचे।
पंचायत के लोगों ने इनकी बात सुनी, और फिर कहा- देखो, गंगाधर के हिस्से का जो पंजा था आग उसमें लगी थी। लेकिन अकेला पंजा तो नहीं चल सकता हैं। तुम तीनों के हिस्से के पंजा ने ही गंगाधर के हिस्से के पंजे को चलाया इसलिये नुकसान की भरपाई अकेले गंगाधर नहीं करेगा। वह अपराधी नहीं हैं। गलती तुम चारों की हैं। इसलिए नुकसान की भरपाई भी तुम चारों मिलकर करोगे। पंचायत के फैसले से सभी सहमत हो गये, फैसले से गंगाधर बहुत खुश था।
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Final Words:- आशा करता हू कि ये सभी कहांनिया Baccho ki Kahaniya आपको जरूर पसंद आई होगी । और ये सभी कहानियां और को बहुत ही प्रेरित भी की होगा । अगर आप ऐसे ही प्रेरित और रोचक कहानियां प्रतिदिन पाना चाहते हैं तो आप हमारे इस वेबसाइट को जरूर सब्सक्राइब करले जिससे कि आप रोजाना नई काहानियों को पढ़ सके धन्यवाद।