Chudail ki kahani | चुड़ैलो आत्माओं की सच्ची घटनाओं कि काहांनियाँ

हाइवे की चुड़ैल

Chudail ki kahani:-सूरत के रहने वाले जिग्नेश पिछले साल नवरात के दिनों में कार ले कर अपने दोस्त दीपक के साथ सूरत से जामनगर आ रहे थे। रात के दो बजे होने के कारण रास्ता काफी सुनसान था।

गाड़ी 70 किमी की रफ्तार से दौड़ रही थी और गाड़ी में तेज़ म्यूज़िक बज रहा था। तभी अचानक गाड़ी से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक खूबसूरत औरत लिफ्ट मांगने का ईशारा करते नज़र आई.

जिग्नेश गाड़ी चला रहा था जबकि दीपक उसके बगल में बैठा था। औरत को देखते ही जिग्नेश गाडी धीरे करने लगा…इसपर दीपक ने उसे टोका कि आजकल HIGHWAY पर इस तरह से गाड़ी रुकवाकर लूट-पाट की जा रही है। इसलिए तुम गाड़ी मत रोकना।

पर जिग्नेश नहीं माना, उसने औरत के बगल में जाकर गाड़ी रोक दी।

“कहाँ जाना है आपको”, जिग्नेश ने पुछा

“जामनगर”, औरत का जवाब आया।

जिग्नेश ने पीछे वाली सीट पर उसे बैठा लिया।

कुछ देर तक तो सब कुछ सामान्य रहा पर अचानक ही पीछे से उस औरत के हंसने की आवाज़ आने लगी…..

दीपक ने मुड़ कर के देखा तो उसके होश उड़ गए…और उसकी चीख निकल पड़ी

वो औरत दरअसल एक चुड़ैल थी…. उसने अपने लम्बे-लम्बे बाल आगे की तरफ झुका रखे थे…जिनके बीच से उसकी चमकती हुई डरावनी आँखें दिखाई दे रही थीं… उसके नाख़ून चाक़ू की तरह लम्बे थे और शरीर पर भी मर्दों की तरह बाल थे।

चीख सुनकर जिग्नेश ने फ़ौरन ब्रेक लगा दिया और गाड़ी खड़ी कर कूद कर भागने लगा…दीपक ने भी यही करना चाहा…लेकिन लाख कोशिश करने पर भी उसके साइड का दरवाजा नहीं खुला….कुछ देर बाद जब जिग्नेश कुछ गाँव वालों को लेकर गाड़ी के पास पहुंचा तो वहां सिर्फ गाड़ी खड़ी थी।

इस घटना के बाद दीपक का कभी कोई पता नहीं चला। जिग्नेश भी कुछ दिनों बाद अचानक से बीमार पड़ा और उसकी मृत्यु हो गयी।

पुलिस तफ्शीश में पता चला कि उस इलाके में हर साल उसी दिन के आस-पास इस तरह की एक घटना घटती है। जिसकी वजह आज तक कोई नहीं समझ पाया।

नरमुंड वाली चुड़ैल

राजकोट में एक ATM सर्विस कंपनी में काम करने वाले जितेन्द्र परमार एक मध्यम वर्ग के प्रामाणिक इन्सान हैं। उनकी शादी को करीब 4 साल हो चुके हैं। उन्हे एक बेटा भी है। वैसे तो जितेन्द्र पाठ पूजा में कम ही मानते हैं, पर रास्ते में मंदिर या मस्जिद आ जाए तो सिर झुका भी लेते हैं

जितेन्द्र की नौकरी का समय तो दिन में 8.5 घंटे होता है, पर ATM मशीन का fault आने पर उन्हे रात के किसी भी वक्त सर्विस देने जाना पड़ता है। अपने इसी काम के चलते वह एक रात अपनी बाइक पर जा रहे थे। उन्हे शहर से थोड़ी दूर बसे एक रिहाइशि इलाके के पास में ATM फाल्ट ठीक करने जाना था।

वैसे तो इस काम के लिए दो Executive जाते हैं पर जितेन्द्र का पार्टनर उस रात बीमार था तो Servicing के लिए उन्हे अकेले ही जाना पड़ा।

स्पॉट पर जा कर जितेन्द्र नें अपनी बाइक स्टैंड पर लगाई। तभी उन्हे वहाँ ATM Booth पर एक लड़की दिखी। जितेन्द्र नें सोचा की उसे शायद पैसे निकालने होंगे और वह ATM Machine के ठीक होने का wait कर रही होगी।

Fault ठीक कर ने के लिए जैसे ही जितेन्द्र एटीएम बूथ के अंदर आए तो वह लड़की भी अंदर आने लगी। Security guard नें उन्हे बहार रुकने के लिए कहा।

अब जितनेद्र अपना काम कर रहे थे। तभी अचानक उसकी नज़र ATM बूथ के बहार गयी, वहाँ उन्होने जो देखा उसे देख कर उसके पसीने छूट गए।

बाहर खड़ी लड़की ATM Guard की मुंडी अपने हाथ में लिए खड़ी थी। और वह जितेन्द्र की और घूर कर देख रही थी। यह सब देख कर जितेन्द्र का दिल बेतहाशा तेज़ी से धड़कने लगा। उन्होंने वहां से नज़र हटा ली और सोचा कि ये उनका भ्रम होगा।

वो ये सब सोच ही रहे थे कि तभी अचानक उनके सीनियर का फोन बज उठा। यह फोन वहाँ का fault जल्दी ठीक करने के लिए था। काँपते-काँपते जितेन्द्र फिर से काम पर लग गए। थोड़ी ही देर में उन्होने ATM मशीन ठीक कर लिया। इस बार ATM बूथ से बहार देखने पर सब नॉर्मल लग रहा था। वह लड़की भी वहाँ खड़ी थी और एटीएम बूथ का गार्ड भी उसके पास आराम से खड़ा था।

जितेन्द्र नें सोचा की पहले जो भी देखा था, वह सब उसका भ्रम होगा। वह काम निपटा कर सीधा अपनी बाइक की और दौड़ गया। जाने से पहले उसने एक बार फिर ATM booth पर नज़र डाली तब एक बार फिर से उसका दिल दहल गया। एक बार फिर बाहर खड़ी लड़की ATM Guard की मुंडी अपने हाथ में लिए खड़ी थी।

इस भयानक नज़ारे को देख कर जितेन्द्र बुरी तरह डर गए, और जल्दी से वहाँ से भाग निकले।

राजकोट वापस लौटते वक्त भी उन्हे बार-बार यह भास हो रहा था की उनकी बाइक के साथ कोई परछाई चल रही है। वे घबराये हुए बीके चलाये जा रहे थे कि ना जाने कैसे अचानक ही उनकी बीके बंद हो गयी….और ठीक एक बरगद के पेड़ के पास जाकर रुकी….जितेन्द्र जी को यकीन नहीं हो रहा था कि उनके साथ ये सब सचमुच हो रहा है….

उन्होंने नज़र उठाई तो बरगद की शाखा से झूलती एक आकृति नज़र आई…उसके हाथ में एक नरमुंड था और वो अजीब घरघराहट भरी आवाज़ में कुछ बोल रही थी…

जित्नेद्र जी ये सब देखकर वहीँ जड़ हो गए…न उनकी चीख निकली न उनके अन्दर हिलने की ताकत बची….चुड़ैल पेड़ से उतरी…उसके उलटे पाँव देखकर जित्नेद्र जी के पसीने छूट गए…उन्होंने आँखें मूँद ली और भगवान् को याद करने लगे….चुड़ैल उनके बगल में आकर बैठ गयी और उनका सर सहलाने लगी….इसके बाद जितेन्द्र जी को कुछ याद नहीं कि उनके साथ क्या हुआ…जब होश आया तो वे एक hospital में थे।

सुबह कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें बेहोश पड़ा देखकर हॉस्पिटल पहुंचा दिया था। इस घटना के महीनो बाद तक जितेन्द्र बेसुध रहे और काफी पूजा-पाठ के बाद ही उनकी हालत फिर से सामन्य हो पायी। अब वे राजकोट छोड़ चुके हैं और एक सामन्य जीवन जी रहे हैं।

Chudail ki kahani (दो लडकियां और चुड़ैल की कहानी)

एक बार की बात है मेरी एक दोस्त दीप्ती छुट्टियों में अपने गाँव रहने के लिए गयी | उसके साथ उसका पूरा परिवार भी गाँव रहने के लिए गया | उसकी एक छोटी बहिन थी | जो १६ साल की थी |जिसका नाम सोनम था | दोनों बहने एक दुसरे से बहुत प्यार करती थी | एक दिन की बात है जब वो अपने गाँव चले गये |

तब उन दोनों बहनो ने गाँव घुमने का मन बनाया | तब दोपहर के 11:30बजे थे और वो दोनों बहने गाँव घुमने के लिए घर से निकल गयी | वे रास्ते से कुछ दूर ही चले | रास्ते में एक घना जंगल पड़ा |जंगल का रास्ता बहुत सुनसान था | और गर्मी भी बहुत थी | और दोनों को बहुत प्यास भी लगी थी |दोनों थोड़ी आगे चलकर रास्ते में एक पेड के निचे बैठ गये |

अभी थोड़ी देर ही हुयी थी की वो पेड तेजी से हिला और हवा चलने लगी | मानो ऐसा लगा था की जेसे उस पेड़ को किशी ने पकड़कर जोर से हिला दिया हो | वो दोनों बहने बहुत डर गयी | और वहां से उठकर तेजी से आगे चली गयी | जेसे वो आगे बढ़ रही थी | तो दीप्ति को अचानक एक परछाई नजर आई | जो उनके साथ चल रही थी | उसने देखा की वह परछाई उन दोनों की नहीं थी | वो उडती हुयी एक परछाई थी | ऐसा लग रहा था जेसे कोई उनका पीछा कर रहा हो | वो बहुत डर गयी और दीप्ती के मुह से आवाज नहीं निकल रही थी | उसने अपनी छोटी बहन को इशारे से उस परछाई को दिखाया |

और तभी सोनम ने परछाई को देखा तो सोनम भी हेरान हो गयी | ये देखकर दोनों बहने बहुत डर गयी | दोनों चीखने और चिल्लाने लगी | तब दोनों ने एक लड़की को अपने सामने खड़ा पाया | वो लड़की उन दोनों को देखकर बहुत जोर – जोर से हँसने लगी| वो दोनों आश्चर्यचकित रह गये |वो लड़की उनसे कह रही थी की मै रास्ता भटक गयी हु | मुझे यहाँ का कुछ पता नहीं है | मुझे अपने साथ ले जा लो | और आगे ही छोड़ देना | उनमे से छोटी बहन सोनम को वो लड़की कुछ अजीब लगी | और उसने अपनी बहन दीप्ती से कहा की मुझे इसके साथ नही जाना है |

ये लड़की मुझे ठीक नहीं लग रही है | ये सब सुनते ही वो दूसरी लड़की क्रोधित हो गयीऔर विकराल रूप में आ गयी | उसको देखने से लग रहां था | मानो वो कोई चुडेल हो | उसके लम्बे – लम्बे नाख़ून , लम्बे- लम्बे दांत और खुले हुए बाल , अजीब सी आँखे , उसकी गर्दन चारो तरफ घूम रही थी | और उसके पैर भी उलटे थे | उसका ये अजीब डरावना रूप देखकर दोनों बहने बहुत घबरा गयी और हनुमान जी का जप करने लगी |अब वो चुडेल उनसे गुस्से से कह रही थी की मै तुम दोनों को छोडूंगी नहीं |

ये सुनकर वो दोनों बहने चीखने – चिल्लाने लगी | तभी पास ही जंगल में एक काली माता का मंदिर था | उसमे एक पुजारी रहता था | उस पुजारी ने दीप्ती और सोनम की आवाज सुनी तो पुजारी दोड कर उनके पास आया | पुजारी को आता देख वो चुडेल वहां से एक दम गायब हो गयी | तब पुजारी ने उनसे पूछा तो उन दोनों ने पुजारी को सारी बात बताई | तब पुजारी ने बताया की मै पास ही एक मंदिर में रहता हूँ | और मै माँ काली का सच्चा भक्त हूँ|

यहाँ पर आये दिन कोई न कोई दुर्घटना होती रहती है | एक बार यहीं रास्ते में एक जवान लड़की की एक दुर्घटना में मौत हो गयी थी | और तभी से उसकी आत्मा यहाँ घुमती रहती है और लोगो को परेशान करती रहती है | मै माँ काली का परम भक्त हु |इसलिए मुझे यहाँ आता देख कर ये चुडेल कहीं गायब हो गयी और चली गयी |

अब दोनो बहने और पुजारी वहां से अपने – अपने घर वापस लौट जाते है | और घर आकर दोनों बहने अपने घरवालों को ये पूरी घटना बताती है |

Chudail ki kahani (दीवानी चुड़ैल)

यह कहानी आज से 10-15 साल पहले की है जब गाँवों के अगल-बगल में बहुत सारे पेड़-पौधे, झाड़ियाँ आदि हुआ करती थीं। जगह-जगह पर बँसवाड़ी (बाँस का बगीचा), महुआनी (महुआ का बगीचा), बारियाँ (आम आदि पेड़ों के बगीचे) आदि हुआ करती थीं। गाँव के बाहर निकलने के लिए कच्ची पगडंडियाँ थीं वह भी मूँज आदि पौधों से घिरी हुई।


ऐसे समय में भूत-प्रेतों, चुड़ैलों का बहुत ही बोलबाला था। लोगों को इन अनसुलझी आत्माओं के डरावने अनुभव हुआ करते थे। यहाँ तक की ये रोएँ खड़ी कर देने वाली आत्माओं के कुछ नाम भी हुआ करते थे जो इनके काम या रहने की जगह आदि पर रखे जाते थे। जैसे- पंडीजी के श्रीफल पर की चुड़ैल, नेटुआबीर बाबा, बड़कीबारी वाला भूत, बँसबाड़ी में की चुड़ैल, सारंगी बाबा, रक्तपियनी चुड़ै़ल, नहरडुबनी चुड़ैल, प्यासनमरी चुड़ैल आदि। तो आइए आप लोगों को उस चुड़ै़ल से मिलवाता हूँ जो एक आम के बगीचे के कोने में स्थित एक बाँस की कोठी (कोठी यानि एक पास एक में सटे उगे हुए बहुत से बाँस) में रहती थी।

यह कहानी जिस समय की है उस समय सांगर बाबा गबड़ू जवान थे। चिक्का, कबड्डी, दौड़ आदि में बड़चढ़ कर हिस्सा लेते थे और हमेशा बाजी मारते थे। अरे भाई कबड्डी खेलते समय अगर तीन-चार लोग भी उन्हें पकड़ लेते थे तो सबको खींचते हुए बिना साँस तोड़े सांगर बाबा लाइन छू लेते थे।
सांगर बाबा के घर के आगे लगभग 500 मीटर की दूरी पर उनका खुद का एक आम का बगीचा था जिसमें आम के लगभग 15-20 पेड़ थे और इस बगीचे के एक कोने में बसवाड़ी भी थी जिसमें बाँस की तीन-चार कोठियाँ थीं। Chudail ki kahani

आम का मौसम था और इस बगीचे के हर पेड़ की डालियाँ आम से लदकर झुल रही थीं। दिन में सांगर बाबा के घर का कोई व्यक्ति दिनभर इन आमों की रखवाली करता था पर रात को रखवाली करने का जिम्मा सांगर बाबा का ही था। रात होते ही सांगर बाबा खाने-पीने के बाद अपना बिस्तर और बँसखटिया उठाते थे और सोने के लिए इस आम के बगीचे में चले जाते थे।

एक रात सांगर बाबा बगीचे में अपनी बँसखटिया पर सोए हुए थे। तभी उनको बँसवाड़ी के तरफ कुछ आहट सुनाई दी। सांगर बाबा तो जग गए पर खाट पर पड़े-पड़े ही अपनी नजर बँसवाड़ी की तरफ घुमा दिए। उनको बँसवाड़ी के कुछ बाँस हिलते हुए नजर आ रहे थे पर हवा न बहने की वजह से उनको लगा कि कोई जानवर बाँसों में घुसकर अपने शरीर को रगड़ रहा होगा और शायद इसकी वजह से ये बाँस हिल रहे हैं।
इसके बाद सांगर बाबा उठकर खाट पर ही बैठ गए और अपनी लाठी संभाल लिए। अभी सांगर बाबा कुछ बोलें इसके पहले ही उन्हें बँसवाड़ी में से एक औरत निकलती हुई दिखाई दी। उस औरत को देखते ही सांगर बाबा की साँसे तेज हो गई और वे लगे सोचने की इतनी रात को कोई औरत इस बँसवाड़ी में क्या कर रही है। जरूर कुछ गड़बड़ है। अभी वे कुछ सोंच ही रहे थे कि वह औरत उनके पास आकर कुछ दूरी पर खड़ी हो गई। Chudail ki kahani

सांगर बाबा तो हक्का-बक्का थे। उनके मुँह से आवाज भी नहीं निकल रही थी पर कैसे भी हिम्मत करके उन्होंने पूछा कि तुम कौन हो और इतनी रात को यहाँ क्यों आई हो?

सांगर बाबा की बात सुनकर वह औरत बहुत जोर से डरावनी हँसी हँसी और बोली औरत हूँ और इसी बँसबाड़ी में रहती हूँ। बहुत दिनों से मैं तुमको यहाँ सोते हुए देख रही हूँ और धीरे-धीरे मुझे अब तुमसे प्यार हो गया है। मैं सदा तुम्हारी होकर रहना चाहती हूँ। सांगर बाबा को अब यह समझते देर नहीं लगी कि यह तो वही चुड़ैल है जिसके बारे में लोग बताते हैं कि इस बगीचे में बहुत साल पहले घुमक्कड़ मदारी (जादूगर) परिवार आकर लगभग तीन-चार महीने रहा था और एक दिन कुछ लोंगो ने उस मदारी परिवार की एक 20-22 साल की बालिका को इसी बसवाड़ी में मरे पाया था और मदारी परिवार वहाँ से अपना बोरिया-बिस्तर लेकर नदारद था और वही बालिका चुड़ैल बन गई थी क्योंकि उसकी हत्या गला दबाकर की गई थी। Chudail ki kahani

सांगर बाबा अब धीरे-धीरे अपने डर पर काबू पा चुके थे और उस चुड़ैल से बोले कि तुम ठहरी मरी हुई आत्मा और मैं जीता-जागता। तुम बताओ मैं तुमको कैसे अपना सकता हूँ। सांगर बाबा की बात सुनकर वह चुड़ैल थोड़ा गुस्से में बोली कि मैं कुछ नहीं जानती अगर तुम मुझे ठुकराओगे तो मैं तुम्हें मार डालूँगी। तुम्हे हर हालत में मुझे अपनाना ही होगा। अब सांगर बाबा कुछ बोले तो नहीं पर धीरे-धीरे हनुमान चालीसा पढ़ने लगे। वह चुड़ैल धीरे-धीरे पीछे हटने लगी पर सांगर बाबा को चेतावनी भी देती गई कि हर हालत में उनको उसे अपनाना ही होगा।

इस घटना के बाद तो सांगर बाबा की नींद ही उड़ गई और वे अपनी बँसखटिया उठाए घर चले गए।
दूसरे दिन रात को सांगर बाबा ने बगीचे में न सोने के लिए बहाना बनाया और घर के बाहर दरवाजे पर ही सो गए। अरे यह क्या रात को उनकी अचानक नींद खुली तो वो क्या देखते हैं कि उनके साथ कुछ गड़बड़ हो गई है और कोई औरत उनके पास सोई हुई है। सांगर बाबा फौरन जग गए और उस औरत से लगे पुछने की कौन हो तुम??? वह औरत डरावनी हँसी हँसी और बोली कि रातवाली ही हूँ। तुम मुझसे पीछा नहीं छुड़ा सकते और हाँ अब तो तुने मुझे अपना भी लिया है। अब प्रतिदिन रात को वह चुड़ैल सांगर बाबा के पास आने लगी और सांगर बाबा चाहते हुए भी कुछ न कर सके।

इस घटना को चलते 8-10 दिन बीत गए अब सांगर बाबा में पहलेवाली ताकत नहीं रही वे बहुत ही कमजोर हो गए थे। उनके घरवाले ये समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर इनको क्या हो गया है। एक हट्टा-कट्ठा आदमी इतना कमजोर कैसे हो गया। घरवालों ने सांगर बाबा से बहुत बार पूछा कि उन्हें क्या हो गया है पर वे लोक-लाज के डर से कुछ नहीं बताते थे। कई डाक्टरों को दिखाया गया पर सांगर बाबा की हालत में कोई सुधार नजर नहीं आया।

एकदिन गाँव में नाच (नौटंकी) आया हुआ था और सांगर बाबा अपने संगतिया लोगों (दोस्तों) के साथ नाच देखने गए हुए थे। जहाँ नाच हो रहा था वहाँ पान की दुकान भी लगी हुई थी। सांगर बाबा ने वहाँ से पान लगवाकर एक बीड़ा खा लिया और पानवाले से दो बीड़ा लगाकर बाँधकर देने के लिए कहा। पानवाले ने दो बीड़ा पान कागज में लपेटकर सांगर बाबा को दे दिया। नाच देखने के बाद सांगर बाबा घर आए और सोने से पहले एक बीड़ा पान निकालकर खाए और बाकी एक बीड़े को वैसे ही लपेटकर पाकेट में रख लिए। Chudail ki kahani

उस रात सांगर बाबा के साथ एक चमत्कार हुआ और वह चमत्कार यह था कि वह चुड़ैल उनके पास नहीं आई। सुबह सांगर बाबा जगे तो बहुत खुश थे। उनको लग रहा था कि पान लेकर सोने की वजह से वह चुड़ैल उनके पास नहीं आई। उन्होंने अपने पास रखे उस दूसरे बीड़ा पान को खाया नहीं और दूसरी रात भी उसको पाकेट में रखकर ही सोए। उस रात वह चुड़ैल तो आई पर इनके खाट से कुछ दूरी पर खड़ी होकर चिल्लाने लगी। सांगर बाबा की नींद खुल गई और वे उठकर बैठ गए। उस चुड़ैल ने गुस्से में कहा कि तुम्हारे पाकेट में पानलपेटा जो कागज है उसको निकालकर फेंक दो पर ऐसा करने से सांगर बाबा ने मना कर दिया। लाख कोशिशों के बाद भी जब वह चुड़ैल अपने मकसद में कामयाब नहीं हुई तो रोते हुए उस बँसवाड़ी की ओर चली गई। Chudail ki kahani

अब सांगर बाबा को नींद नहीं आई वे फौरन बैटरी (टार्च) जलाकर पानलपेटे उस कागज को देखने लगे। उनको यह देखकर बहुत विस्मय हुआ कि पान जिस कागज में लपेटा था वह कागज किसी अखबार का भाग था और उसमें हनुमान-यंत्र बना हुआ था। अब सांगर बाबा समझ चुके थे कि पान की वजह से नहीं अपितु हनुमानजी की वजह से उन्हें इस दुष्ट चुड़ैल से पीछा मिल गया था।

दूसरे दिन नहा-धोकर सांगर बाबा मंदिर गए और वहाँ से एक हनुमान का लाकेट खरीदकर गले में धारण किए और इतना ही नहीं अब रात को सोते समय वे हमेशा हनुमान चालीसा का पाठ करते और हनुमान चालीसा को सिर के पास रखकर ही सोते। Chudail ki kahani

अब सांगर बाबा फिर से भले-चंगे हो गए थे और अब आम के बगीचे में सोना भी शुरु कर दिए थे। हाँ पर वे जब भी अकेले सुन-सान में उस बँसवाड़ी की तरफ जाते थे उस चुड़ैल को रोता हुआ ही पाते थे। वह चुड़ैल सांगर बाबा से अपने प्यार की भीख माँगते हुए गिड़गिड़ाती रहती।

3 किंग चर्च ,गोवा

गोवा का नाम सुनते ही आपको गोवा के सुंदर बीच और होटल में मौज और मस्ती याद आयेगी | गोवा भारत में सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटकों के लिए प्रमुख पर्यटन स्थल है | गोवा में हर साल हजारो सैलानी आते है लेकिन गोवा में कुछ ऐसी जगहे भी है जिनके बारे में लोगो को पता भी नहीं होगा | आइये हम आपको गोवा के उस सबसे प्रेतबाधित स्थान से रूबरू करवाते है |

दक्षिणी गोवा में वलसाव से 15 किमी की दूरी पर स्थित कान्सुलिम गाँव में 3 किंग चर्च नाम का एक चर्च है जिसको स्थानीय निवासी प्रेतबाधित मानते है यहा हर साल ६ जनवरी को दावत का आयोजन होता है | इस चर्च को क्यों प्रेतबाधित मानते है और क्या है इसके पीछे की कहानी ???? आइये आगे पढ़े कहा जाता है की बहुत साल पहले यहा तीन पुर्तगाली राजा रहते थे और वो हमेशा उस जगह पर राज करने के लिए हमेशा लड़ते रहते थे लेकिन पुर्तगाली लोकतंत्र के नियम कानून से बंधे होने के कारण वो राज नहीं कर सकते थे | Chudail ki kahani

इस समस्या से परेशान होकर एक राजा जिसका नाम होल्गेर था , उसने बाकी के दोनों राजाओ को इस चर्च में बुलाया और उन्हें ज़हर देकर मार दिया | जब स्थानीय लोगो को इस बात का पता चला तो उन्होंने उस राजा को घेर लिया लेकिन उस राजा ने भी मौत को गले लगाना मुनासिफ समझा और उसने भी ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली |

इन तीनो राजाओ की समाधि इसी चर्च में बना दी गयी | तब से ऐसा माना जाता है कि यहा उन तीनो राजाओ की आत्मा भटकती है स्थानीय लोगो में यहा ने यहा अजीब सा रूहानी ताकत होने का महसूस किया है | Indian Paranormal Society के GRIP टीम के सदस्य निखिल भट्ट ने इन सबको अपने कैमरे में कैद किया और रूहानी ताकतों को महसूस किया | फिर भी दुनिया में कुछ ऐसी ताकते है जिन पर यकीन करना मुश्किल है मानो या ना मानो। Chudail ki kahani

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Final Words:- आशा करता हू कि ये सभी कहांनिया Chudail ki kahani आपको जरूर पसंद आई होगी । और ये सभी कहानियां और को बहुत ही प्रेरित भी की होगा । अगर आप ऐसे ही प्रेरित और रोचक Kahani प्रतिदिन पाना चाहते हैं तो आप हमारे इस वेबसाइट को जरूर सब्सक्राइब करले जिससे कि आप रोजाना नई काहानियों को पढ़ सके धन्यवाद।

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