Hanuman Stuti | गोस्वामी तुलसीदास रचित हनुमत-स्तुति

गोस्वामी तुलसीदास रचित हनुमत-स्तुति

Hanuman Stuti ||श्री हनुमान स्तुति||

मंगल मूरति मारुत नंदन ।
सकल अमंगल मूल निकंदन ॥ १ ॥

पवनतनय संतन हितकारी ।
ह्रदय बिराजत अवध बिहारी ॥ २ ॥

मातु-पिता गुरु गणपति सारद ।
शिवा-समेत शम्भु, शुक्र नारद ॥ ३ ॥

चरन कमल बिन्धौ सब काहु ।
देहु रामपद नेहु निबाहु ॥ ४ ॥

बंधन राम लखन वैदेही ।
यह तुलसी के परम सनेही ॥ ५ ॥

~ सियावर रामचंद्रजी की जय ~

जाके गति है हनुमान की ।
ताकी पैज पुजि आई, यह रेखा कुलिस पषान की ।।

अघटित-घटन, सुघट-बिघटन, ऐसी बिरूदावलि नहिं आनकी ।
सुमिरत संकट-सोच-बिमोचन, मूरति मोद-निधानकी ।।

तापर सानुकूल गिरिजा, हर, लषन, राम अरू जानकी ।
तुलसी कपि की कृपा-विलोकनि, खानि सकल कल्यानकी ।।

॥ॐ श्री राम ॥
॥ॐ श्री हनुमते नमः ॥

आरती श्री हनुमान जी

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरिवर कांपे।

रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई।

सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥

आरती कीजै हनुमान लला की।

दे बीरा रघुनाथ पठाए।

लंका जारि सिया सुधि लाए॥

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।

जात पवनसुत बार न लाई॥

आरती कीजै हनुमान लला की।

लंका जारि असुर संहारे।

सियारामजी के काज सवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।

आनि संजीवन प्राण उबारे॥

आरती कीजै हनुमान लला की।

पैठि पाताल तोरि जम-कारे।

अहिरावण की भुजा उखारे॥

बाएं भुजा असुरदल मारे।

दाहिने भुजा संतजन तारे॥

आरती कीजै हनुमान लला की।

सुर नर मुनि आरती उतारें।

जय जय जय हनुमान उचारें॥

कंचन थार कपूर लौ छाई।

आरती करत अंजना माई॥

आरती कीजै हनुमान लला की।

जो हनुमानजी की आरती गावे।

बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

पढ़े:- पूरी सुन्दरकाण्ड पाठ अर्थ सहित

संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र (अर्थ सहित)

श्री हनुमान चालीसा ( अर्थ सहित )

श्री बजरंग बाण का पाठ

Final Words:- आशा करता हू कि ये सभी कहांनिया Hanuman Stuti आपको जरूर पसंद आई होगी । और ये सभी कहानियां और को बहुत ही प्रेरित भी की होगा । अगर आप ऐसे ही प्रेरित कथाएँ प्रतिदिन पाना चाहते हैं तो आप हमारे इस वेबसाइट को जरूर सब्सक्राइब करले जिससे कि आप रोजाना नई काहानियों को पढ़ सके और आपको यह Post कैसी लगी हमें Comment Box में Comment करके जरूर बताए धन्यवाद।

Leave a Comment