गरीब बुढ़िया की खीर का जादू
jadui kahaniya:-एक समय की बात है। एक गांव में एक गरीब बुढ़िया रहती थी, वह पूरी तरह से अकेले रहा करती थी। उसका कोई भी नहीं था, ना बाल बच्चे ना कोई रिश्तेदार, सुबह शाम लोगों के छोटे-मोटे काम किया करती थी। जिसके बदले लोग उसको पैसे, अनाज या खाने पीने का सामान दे दिया करते थे। जिसको खा पीकर वह अपना जीवन बिताया करती थी।
वह अपने जीवन में पूरी तरह से संतुष्ट थी उसे भगवान से किसी प्रकार का कोई गिला भी नहीं था। दूसरों के सामान के कारण बुढ़िया का घर पूरी तरह से सामानों से भरा हुआ था , एक बार की बात है वे अपने घर को खोलकर घर के सामान को धूप दिखा रही थी।
समय वहां से दो चोर जा रहे थे, जब उन्होंने देखा कि बुढ़िया के घर में तरह-तरह का सामान भरा हुआ है तो उन्हें बड़ा लालच आया और वे सोचने लगे कि :-
“इस घर में तो बुढ़िया अकेली रहती है क्यों ना हम आ कर इसके घर को ही साफ कर दें, माना की सामान पुराना है लेकिन कुछ तो पैसा मिलेगा और यह बुढ़िया अकेली हमारा कुछ बिगाड़ भी नहीं पाएगी। ”
चोरों ने बुढ़िया के घर को अच्छी तरह से देख लिया और समझ लिया कि उन्हें किस तरह से बुढ़िया के घर की सफाई करनी है।
उसके बाद चोर अपने घर वापस चले गए बुढ़िया बेचारी को सपने में भी यह ख्याल नहीं आया कि उसके घर में भी कभी चोरी हो सकती है। क्योंकि उसके घर में तो खुद के उसके कपड़े तक उसके नहीं थे सब कुछ गांव वाले उसे दिया करते थे।
जो वह अपने घर में रख लेती थी खैर कुछ दिन बीत गए और 1 दिन रात में चोर अपने दो साथियों को लेकर बुढ़िया के घर पहुंच गए कमाल की बात यह थी, कि उस दिन सरपंच ने बुढ़िया को चावल दूध और चीनी दी थी ,और बुढ़िया बहुत खुश थी बुढ़िया ने ख़ुशी ख़ुशी अपने लिए खीर बनाई और खीर बनाकर वह उस खीर को चूल्हे पर रखकर, सोचने लगी कि अभी तो खीर बहुत ही गर्म है
जबकि थोड़ी ठंडी हो जाएगी तब आराम से खाऊंगी और अपने बिस्तर पर लेट गई और खीर के ठंडा होने का इंतजार करने लगी लेटे-लेटे उसे नींद आ गई और वे सो गई,और जोर-जोर से खर्राटे लेने लगी।
चोर बाहर खड़े थे बुढ़िया के खर्राटे की आवाज सुनते ही उन्होंने सोचा कि चलो अब रास्ता साफ हो गया और अब हम आराम से बुढ़िया का घर साफ कर सकते हैं, वह सब जल्दी- जल्दी आ कर बुढ़िया के घर में सामान तलाशने लगे परंतु कमाल की बात यह थी कि उन्होंने जो देखा था वह बिल्कुल गलत था।
बुढ़िया का घर तो सामान से भरा हुआ था। किंतु एक भी सामान साबुत नहीं था हर सामान टूटा-फूटा पुराना और खराब था। यह चोर बड़े दुखी हुए और बुढ़िया को बहुत गालियां देने लगे वह बोले:-
” देखो कितनी दुष्ट बुढ़िया है आराम से सो रही है और हम बेचारे इतनी मेहनत कर रहे हैं। ”
तभी दूसरे चोर की नजर चूल्हे पर रखी खीर पड़ी, गरम-गरम खीर को देखकर चोर ने कहा, चलो बुढ़िया के घर कुछ और नहीं मिला तो कम से कम खीर तो है और वह उसको खाने लगे जब वह खीर खाकर जाने लगे। तो उन्होंने थोड़ी सी खीर बुढ़िया के लिए छोड़ दी किंतु जब उन्होंने बुढ़िया की तरफ देखा तो उसका हाथ खुला हुआ था। जैसे वह कुछ मांग रही हो साथ ही उसका मुँह भी खुला हुआ था।
जिसे देख कर चोरों ने सोचा की बिचारी बुढ़िया लोगों से मांग मांग कर अपना जीवन बिता रही है, लगता है, बहुत थक गई है, और खाने के लिए खीर मांग रही है, आखिर उम्र में है तो हमारी मां के ही बराबर और बिना कुछ सोचे समझे गरम-गरम खीर बुढ़िया के मुंह में डाल दी, गरम-गरम खीर मुंह में पढ़ते ही बुढ़िया जोर से चिल्लाई:-
” हाय दइया ! मार डाला, मार डाला मार डाला”
बुढ़िया की चीख सुनते ही चोर डर के जल्दी-जल्दी छुपने लगे, जिसने मुंह में खीर डाली थी वह ऊपर जाकर छिप गया एक चारपाई के नीचे और एक चारपाई के दाएं, बुढ़िया की चीख सुनते ही गांव वाले बुढ़िया के घर आ गए और पूछने लगे, क्या हुआ मां?
” बुढ़िया बोली मुझे क्या पता ऊपर वाला जाने यह सुनते ही ऊपर छिपा हुआ चोर बोला, अरे भला मैं क्यों जानू तुम्हारी चारपाई के नीचे छिपा चोर ना जाने, यह सुनते ही चारपाई के नीचे वाला चोर बोला मैं ही क्यों जानू चारपाई के दाए छुपा चोर क्यों ना जाने ?”
और इस तरह से तीनों चोरों ने खुद ही अपना पता गांव वालों को बता दिया और फिर गांव वालों ने उन्हें पकड़ कर खूब पिटाई करी और वापस भेज दिया उसके बाद से चोरों ने कान पकड़ लिया कि आज के बाद कभी वह चोरी कभी नहीं करेंगे।
jadui kahaniya (जादुई खिड़की)
एक शहर में एक छोटा बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहता था. एक बार वह बहुत बीमार पड़ गया. उसकी तबियत इतनी ख़राब थी कि उसे अपना अधिकांश समय बिस्तर पर ही बिताना पड़ता था.
दूसरे बच्चों को भी उससे मिलने की मनाही थी, इसलिए वह बहुत उदास रहा करता था. पूरा दिन वह उदासी और अकेलेपन में गुजारता था.
जिस बिस्तर पर वह लेटा रहता था, उसके पास ही एक खिड़की थी. बस वहीं लेटे-लेटे वह खिड़की के बाहर देखा करता था. समय इसी तरह बीत रहा था और उसकी उदासी बढ़ती जा रही थी.
एक दिन उसने एक अजीब सी आकृति अपने खिड़की के बाहर देखी. वह एक पेंगुइन था, जो सैंडविच खा रहा था. कुछ देर बाद उस पेंगुइन ने खिड़की से अंदर झांक कर देखा और कहा, “हलो दोस्त.” उसके बाद वहाँ से चला गया.
यह सब देखकर बच्चा हैरान था. वह सोच ही रहा था कि ये क्या हुआ कि उसने फिर से खिड़की के बाहर एक बंदर को देखा, जो गुब्बारा फुला रहा था. उसके बाद से हर दिन उसे अपनी खिड़की के बाहर ऐसे ही अजीबो-गरीब और मजेदार कार्टून करैक्टर दिखने लगे और अपनी मजेदार हरकतों से उसे हँसाने लगे.
बच्चे को यह सब देखकर बड़ा मज़ा आता था और वह खुश होकर खूब हँसता था. कभी उसे हाथी झूम-झूमकर नाचता हुआ दिखता, तो कभी बिल्ली चश्मा लगाकर किताब पढ़ते हुए दिखती. कभी कुत्ता मस्ती करते हुए दिखता, तो कभी खरगोश उछलते-कूदते हुए दिखता.
कभी-कभी वह सोचता कि यह सब सच है या सपना. उसे सब कुछ जादू सा लगता. इसलिए घर पर उसने कभी किसी को यह बात नहीं बताई. उसे लगा करता था कि कोई उस पर यकीन नहीं करेगा.
जब से उसे अपनी खिड़की पर ये मज़ेदार नज़ारे दिखने लगे, उसकी उदासी दूर होने लगी. अब वह खुश रहने लगा. इसका असर ये हुआ कि उसकी सेहत में बहुत जल्दी सुधार आने लगा. कुछ दिनों में वह पूरी तरह ठीक हो गया और स्कूल जाने लगा.
स्कूल जाने के बाद उसने अपने सबसे अच्छे दोस्त से इस घटना का ज़िक्र किया. जब वह उसे यह सब बता रहा था, तभी उसे अपने दोस्त के स्कूल बैग में कुछ रंग-बिरंगा सा दिखाई पड़ा. बहुत जोर देकर पूछने पर उसके दोस्त ने उसे दिखाया कि उसके बैग में क्या है?
उस बैग के अंदर कई रंग-बिरंगे फैंसी ड्रेस के कपड़े थे, जिसे पहनकर वह रोज़ उस बच्चे की खिड़की पर जाकर अपनी हरकतों से उसे हँसाता था.
बच्चे से अपने दोस्त को गले लगा लिया और यह तय कर लिया कि अब वह भी दूसरों के अकेलेपन और उदासी को दूर करेगा.
jadui kahaniya (जादुई चक्की)
आज के हाईटेक युग में जब बच्चों को हर जानकारी कंप्यूटर/इंटरनेट पर ही मिल रही है, उनका पैरेंट्स से जुड़ाव कम हो रहा है. साथ ही उन्हें मोरल वैल्यूज़ (Moral Values) भी पता नहीं चल पाती, ऐसे में बेड टाइम स्टोरीज़ (Bed Time Stories) जैसे- पंचतंत्र (Panchtantra) की सीख देने वाली पॉप्युलर कहानियों के ज़रिए न स़िर्फ आपकी बच्चे से बॉन्डिंग स्ट्रॉन्ग होगी, बल्कि उन्हें अच्छी बातें भी पता चलती हैं.
एक गांव में दो भाई रहते थे. बड़ा भाई बेहद अमीर था और छोटा उतना ही ग़रीब. दिवाली के दिन पूरा गांव ख़ुश था. लेकिन छोटा भाई दुखी था, क्योंकि उसके परिवार के पास तो खाने को भी कुछ नहीं था. वो मदद मांगने अपने भाई के पास गया, पर भाई ने दुत्कार दिया. वो दुखी मन से वापस आने लगा, तो रास्ते में एक बूढ़ा व्यक्ति मिला. उसने कहा कि इतने दुखी क्यों हो, आज तो दिवाली है. ख़ुशियों को त्योहार. इस पर छोटे भाई ने अपनी व्यथा सुनाई.
बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि तुम मेरा ये लकड़ियों का ढेर अगर मेरे घर तक पहुंचा दो, तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं और तुम्हें अमीर बना सकता हूं. छोटा भाई मान गया और घर पहुंचने पर बूढ़े व्यक्ति ने उसे एक मालपुआ देकर कहा कि ये जंगल में लेकर जाओ. वहां तुम्हें तीन अजीब पेड़ दिखेंगे, जिसके पास एक चट्टान होगी. चट्टान के कोने में एक गुफा नज़र आएगी. उस गुफा में जाओगे, तो तुम्हें तीन बौने मिलेंगे. ये मालपुआ उन्हें देना, क्योंकि उनको यह बेहद पसंद है और इसके लिए वो हर क़ीमत चुकाने को तैयार होंगे, पर तुम उनसे धन मत मांगना. तुम कहना कि मुझे पत्थर की चक्की दे दो. jadui kahaniya
छोटे भाई ने वैसा ही किया, जैसा बूढ़े व्यक्ति ने कहा. चक्की लेकर जब छोटा बाहर जाने लगा, तब एक बौने ने कहा कि यह कोई मामूली चक्की नहीं है. इसे चलाने पर तुम जो मांगोगे वो मिलेगा. इच्छा पूरी होने पर इस पर लाल कपड़ा डाल देना, सामान निकलना बंद हो जाएगा.
छोटा घर पहुंचा, तो उसने चक्की को आज़माया. उसने चावल मांगा, फिर दाल मांगी… इस तरह खाने का ढेरों सामान उसे मिल गया, जिससे परिवार की भूख मिट गई. लाल कपड़े से चक्की को ढंककर वो चैन की नींद सो गया. jadui kahaniya
चक्की से निकला जो भी सामान बचा, उसे वो अगले दिन बाज़ार जाकर बेच आया. इस तरह से वो कुछ न कुछ सामान चक्की से निकालकर बाज़ार में बेच आता, कभी बादाम, कभी घी, नमक, मसाले, कपास आदि. देखते ही देखते वो बेहद अमीर हो गया. jadui kahaniya
उसकी तऱक्क़ी देखकर उसका बड़ा भाई जलने लगा. उसने सोचा कैसे ये इतना अमीर हो गया? एक रात वो छोटे के घर में छिप गया और उसने उस चक्की को देख लिया.
अगले दिन जब छोटा बाज़ार गया था, तो बड़े ने चालाकी से घर में घुसकर चक्की को चुरा लिया. उसने सोचा वो यह गांव छोड़कर दूर जा बसेगा, क्योंकि उसके हाथ ख़ज़ाना जो लग गया. वो जल्दबाज़ी में सब कुछ छोड़कर परिवार सहित भागने लगा. समंदर पर जाकर एक नाव में सवार हुआ, तो पत्नी ने पूछा कि यह सब क्या है. पत्नी को दिखाने के लिए उसने चक्की को कहा कि चक्की नमक निकाल. नमक निकलता गया. चूंकि बड़े भाई को चक्की को बंद करना नहीं आता था, तो नमक के बोझ से नाव सहित पूरा परिवार ही डूब गया. कहते हैं कि वो चक्की अब भी चल रही है, इसीलिए समंदर का पानी खारा है. jadui kahaniya
Read Some More jadui kahaniya :-
- नन्ही परी का सपना
- जादू की छड़ी
- राक्षस और राजकुमार
- खेल खेल में
- सोलहवे जन्मदिन पर
- Cinderella ki kahani ( सिंड्रेला )
Final Words:- आशा करता हू कि ये सभी कहांनिया Jadui Kahani आपको जरूर पसंद आई होगी । और ये सभी कहानियां और को बहुत ही प्रेरित भी की होगा । अगर आप ऐसे ही प्रेरित और रोचक कहानियां प्रतिदिन पाना चाहते हैं तो आप हमारे इस वेबसाइट को जरूर सब्सक्राइब करले जिससे कि आप रोजाना नई काहानियों को पढ़ सके धन्यवाद।